क्या आप को पता है भारत की मातृभाषा क्या है? जानिए हर राज्य की भाषा और संविधान में भाषाओं से जुड़े महत्वपूर्ण अनुच्छेद!

भारत की मातृभाषा क्या है?

भारत की मातृभाषा क्या है? जानिए हर राज्य की प्रमुख भाषा और संविधान में भाषाओं की स्थिति

भारत विविधताओं से भरा देश है — यहाँ धर्म, संस्कृति, पहनावा से लेकर भाषा तक में अनोखी विविधता देखने को मिलती है। भारत में हिंदी सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली मातृभाषा है, लेकिन देश के हर राज्य की अपनी एक या एक से अधिक मातृभाषाएँ हैं। आइए जानते हैं भारत की भाषाई विविधता और उससे जुड़े संवैधानिक प्रावधानों के बारे में।

भारत की मातृभाषा – हिंदी

भारत में लगभग 43% आबादी की मातृभाषा हिंदी है, इसलिए हिंदी को भारत की प्रमुख मातृभाषा माना जाता है।

हालांकि, भारत के संविधान में किसी भी भाषा को “राष्ट्रभाषा” घोषित नहीं किया गया है। हिंदी को केवल राजभाषा का दर्जा प्राप्त है।

भारतीय संविधान में भाषा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण अनुच्छेद:

  1. अनुच्छेद 343
    इसमें हिंदी को देवनागरी लिपि में भारत की राजभाषा घोषित किया गया है।
  2. अनुच्छेद 344
    इसमें राजभाषा के आयोग और राजभाषा संबंधी संसदीय समिति के गठन की बात कही गई है।
  3. अनुच्छेद 345
    राज्य अपनी इच्छा से राज्य की राजभाषा तय कर सकते हैं।
  4. अनुच्छेद 346 और 347
    केंद्र और राज्य तथा राज्यों के बीच संप्रेषण के लिए भाषा के प्रयोग की व्यवस्था।
  5. अनुच्छेद 350A
    अल्पसंख्यक भाषाओं में शिक्षा की सुविधा देने का निर्देश।
  6. अनुच्छेद 351
    हिंदी भाषा के प्रचार और प्रसार के लिए केंद्र सरकार को दिशा-निर्देश देता है।
  7. संविधान की आठवीं अनुसूची
    इसमें वर्तमान में 22 भाषाएँ शामिल हैं जिन्हें संवैधानिक मान्यता प्राप्त है।

राज्यवार प्रमुख मातृभाषाएँ:

भारत के हर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश की अपनी सांस्कृतिक और भाषाई पहचान होती है। नीचे हम आपको बताते हैं कि किस राज्य में कौन-सी मातृभाषा सबसे ज़्यादा बोली जाती है:

भारत की मातृभाषा क्या है?

उत्तर भारत:

  • उत्तर प्रदेश – हिंदी
  • उत्तराखंड – हिंदी, गढ़वाली, कुमाऊँनी
  • हरियाणा – हिंदी, हरियाणवी
  • पंजाब – पंजाबी
  • राजस्थान – हिंदी, राजस्थानी बोलियाँ
  • हिमाचल प्रदेश – हिंदी, पहाड़ी
  • दिल्ली – हिंदी, पंजाबी, उर्दू
  • चंडीगढ़ – पंजाबी, हिंदी

मध्य भारत:

  • मध्य प्रदेश – हिंदी
  • छत्तीसगढ़ – हिंदी, छत्तीसगढ़ी
  • बिहार – हिंदी, भोजपुरी, मैथिली, मगही
  • झारखंड – हिंदी, संथाली, नागपुरी

पूर्वी भारत:

  • पश्चिम बंगाल – बंगाली
  • ओडिशा – ओड़िया
  • सिक्किम – नेपाली, लेपचा
  • असम – असमिया, बोडो
  • अरुणाचल प्रदेश – हिंदी, जनजातीय भाषाएँ
  • नागालैंड – नागामीज़, Ao Naga
  • मणिपुर – मणिपुरी (मैतेई)
  • त्रिपुरा – बंगाली, कोकबोरोक
  • मेघालय – खासी, गारो
  • मिज़ोरम – मिज़ो

पश्चिम भारत:

  • महाराष्ट्र – मराठी
  • गुजरात – गुजराती
  • गोवा – कोंकणी, मराठी

दक्षिण भारत:

  • तमिलनाडु – तमिल
  • कर्नाटक – कन्नड़
  • केरल – मलयालम
  • आंध्र प्रदेश – तेलुगु
  • तेलंगाना – तेलुगु, उर्दू
  • पुडुचेरी – तमिल, तेलुगु, मलयालम, फ्रेंच
  • अंडमान-निकोबार – हिंदी, तमिल, बंगाली
  • लक्षद्वीप – मलयालम

केंद्रशासित प्रदेश:

  • जम्मू-कश्मीर – उर्दू, कश्मीरी, डोगरी
  • लद्दाख – लद्दाखी, हिंदी
  • दमन, दीव, दादरा और नगर हवेली – गुजराती, मराठी, हिंदी

भारत एक ऐसा देश है जहाँ भाषा केवल संप्रेषण का माध्यम नहीं, बल्कि पहचान और विरासत का प्रतीक है। हिंदी भले ही सबसे ज्यादा बोली जाती है, लेकिन हर राज्य की अपनी मातृभाषा और बोलियाँ हैं। संविधान ने इस भाषाई विविधता को न केवल स्वीकारा, बल्कि उसे संरक्षित करने के लिए कई अनुच्छेद और प्रावधान भी बनाए हैं।

इसलिए हम कह सकते हैं कि भारत की असली शक्ति उसकी भाषाई विविधता में ही है।

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