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म्यूचुअल फंड में कट-ऑफ टाइम क्या है? | Mutual Fund Cut Off Time Explained

म्यूचुअल फंड में कट-ऑफ टाइम क्या है? | Mutual Fund Cut Off Time Explained
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म्यूचुअल फंड में कट-ऑफ टाइम क्या है? जानिए निवेश से जुड़ी यह बेहद महत्वपूर्ण जानकारी

म्यूचुअल फंड में कट-ऑफ टाइम क्या होता है?

जब भी आप म्यूचुअल फंड में निवेश या रिडेम्पशन करते हैं, तो आपको एक बात ज़रूर ध्यान में रखनी चाहिए और वह है कट-ऑफ टाइम (Cut-Off Time)। यह एक समय सीमा है जिसे यदि आप पार कर जाते हैं, तो आपका लेनदेन उस दिन के बजाय अगले कारोबारी दिन के NAV (Net Asset Value) पर संसाधित किया जाएगा। यही कारण है कि यह जानना बहुत जरूरी है कि किस प्रकार के म्यूचुअल फंड के लिए क्या कट-ऑफ समय है।

भारत में म्यूचुअल फंड का कट-ऑफ समय भारतीय मानक समय (IST) के अनुसार होता है और यह निवेश किए जाने वाले फंड की श्रेणी और पैसे के ट्रांसफर की स्थिति पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, लिक्विड फंड्स में यह समय अन्य फंड्स की तुलना में अलग होता है।

म्यूचुअल फंड लेनदेन के लिए विभिन्न योजनाओं के अनुसार कट-ऑफ समय

योजनाओं के प्रकारलेन-देन का प्रकारकट-ऑफ समय (IST)
लिक्विड और ओवरनाइट फंड (स्विच-इन सहित सदस्यता)खरीद1:30 अपराह्न
लिक्विड और ओवरनाइट फंडरिडेम्पशन3:00 अपराह्न
अन्य सभी योजनाएं (इक्विटी/डेब्ट/ELSS)खरीद और रिडेम्पशन3:00 अपराह्न

SEBI के नए नियम और उनका प्रभाव

SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने म्यूचुअल फंड उद्योग में पारदर्शिता, निष्पक्षता और निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए कई नए नियम लागू किए हैं। 1 फरवरी 2021 से लागू SEBI के निर्देशों के अनुसार:

  • यदि निवेश ₹2 लाख से अधिक है, तो NAV का आवंटन तभी होगा जब निवेश की राशि संबंधित एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) को प्राप्त हो जाए।
  • सिर्फ ऑर्डर सबमिट करने से NAV अलॉट नहीं होगा, पैसा कट-ऑफ टाइम तक ट्रांसफर होकर AMC के पास पहुँचना चाहिए।
  • लिक्विड फंड और ओवरनाइट फंड के लिए यह नियम पहले से लागू था, अब सभी श्रेणियों पर यह लागू हो गया है।

म्यूचुअल फंड का कट-ऑफ टाइम कैसे काम करता है?

1. लिक्विड और ओवरनाइट फंड:
  • ये बहुत कम अवधि के सुरक्षित निवेश विकल्प होते हैं।
  • खरीद के लिए कट-ऑफ: दोपहर 1:30 बजे
  • रिडेम्पशन के लिए कट-ऑफ: दोपहर 3:00 बजे
  • यदि आप 1:30 बजे से पहले निवेश करते हैं, तो पिछले दिन का NAV लागू होगा।
  • 1:30 बजे के बाद किए गए निवेश पर उसी दिन का NAV मिलेगा।
2. इक्विटी और डेट फंड:
  • इसमें शेयर बाजार और बॉन्ड दोनों में निवेश किया जाता है।
  • कट-ऑफ समय: दोपहर 3:00 बजे
  • 3 बजे से पहले निवेश = उसी दिन का NAV
  • 3 बजे के बाद निवेश = अगले दिन का NAV
3. ELSS टैक्स-सेविंग फंड:
  • आयकर अधिनियम की धारा 80C के अंतर्गत टैक्स में छूट मिलती है।
  • इन्हें भी 3:00 बजे तक निवेश करना होता है ताकि उसी दिन का NAV मिले।

क्यों जरूरी है कट-ऑफ टाइम को समझना?

  • यदि आप किसी दिन बाजार में गिरावट का फायदा उठाना चाहते हैं और उस दिन की NAV पर निवेश करना चाहते हैं, तो आपको उस दिन के कट-ऑफ टाइम से पहले ही ट्रांजेक्शन पूरा करना होगा।
  • NAV की गणना हर दिन बाजार बंद होने के बाद की जाती है और उसी के अनुसार आपकी यूनिट्स अलॉट होती हैं।
  • यदि आप देर से आवेदन करते हैं, तो आपकी NAV अगले कारोबारी दिन की हो जाएगी, जिससे संभावित लाभ कम हो सकता है।

रिडेम्पशन की प्रक्रिया और समय सीमा

रिडेम्पशन यानी म्यूचुअल फंड से पैसे निकालने की प्रक्रिया भी कट-ऑफ टाइम से जुड़ी होती है। यह प्रक्रिया फंड के प्रकार और निवेश की राशि पर निर्भर करती है:

फंड प्रकाररिडेम्पशन प्रोसेसिंग समय
लिक्विड फंड1 से 2 कार्य दिवस
इक्विटी, डेट और हाइब्रिड फंड2 से 4 कार्य दिवस

बैंक अवकाश, तकनीकी गड़बड़ी या AMC की प्रक्रिया में देरी के कारण इस समय में बदलाव संभव है।

निवेशकों के लिए जरूरी टिप्स:

  • म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय हमेशा समय का विशेष ध्यान रखें।
  • सुबह 11 बजे से पहले भुगतान प्रक्रिया पूरी करना सुरक्षित रहता है।
  • नेट बैंकिंग, RTGS, NEFT या UPI के ज़रिए फंड ट्रांसफर का समय जरूर जांचें।
  • पोर्टल या ऐप के माध्यम से किए गए निवेश भी तभी मान्य होते हैं जब भुगतान समय पर हो जाए।
  • निवेश से पहले अपनी AMC की वेबसाइट या निवेश प्लेटफॉर्म पर अपडेटेड कट-ऑफ टाइम की पुष्टि करें।

म्यूचुअल फंड का कट-ऑफ टाइम जानना और उसका पालन करना किसी भी निवेशक के लिए बेहद जरूरी है। यह तय करता है कि आपको किस दिन की NAV मिलेगी और किस दिन से आपके निवेश पर रिटर्न की गणना शुरू होगी। SEBI के नियमों के अनुसार, पैसे का समय पर AMC में ट्रांसफर होना, पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निवेशक सुरक्षा के लिए अहम है।

यदि आप सोच-समझकर निवेश करना चाहते हैं और म्यूचुअल फंड से अधिकतम लाभ कमाना चाहते हैं, तो कट-ऑफ टाइम को लेकर सजग रहें और हर निवेश की टाइमिंग को रणनीतिक ढंग से प्लान करें।

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