NAV क्या होता है जानिए म्यूचुअल फंड निवेश से जुड़ा यह सबसे महत्वपूर्ण शब्द
नई दिल्ली। आजकल म्यूचुअल फंड में निवेश करने का चलन तेजी से बढ़ रहा है, खासकर युवाओं और मध्यमवर्गीय परिवारों के बीच। लेकिन निवेश से पहले कुछ महत्वपूर्ण शब्दों को समझना बेहद जरूरी है। ऐसा ही एक अहम शब्द है NAV, यानी नेट एसेट वैल्यू। यह शब्द जितना तकनीकी लगता है, उसकी समझ उतनी ही जरूरी है, क्योंकि यह आपके निवेश की कीमत और प्रदर्शन का आधार होता है।
NAV क्या होता है?
NAV (Net Asset Value) का अर्थ है – किसी म्यूचुअल फंड स्कीम की प्रति यूनिट कीमत। जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, तो आप फंड की यूनिट्स खरीदते हैं और उन यूनिट्स की जो कीमत होती है, वही NAV कहलाती है।
यह फॉर्मूला से समझें तो:
NAV = (फंड की कुल संपत्ति – कुल देनदारियां) / कुल यूनिट्स की संख्या
उदाहरण के लिए, अगर किसी फंड की कुल संपत्ति ₹100 करोड़ है और कुल 10 करोड़ यूनिट्स हैं, तो उस फंड की NAV होगी ₹10 प्रति यूनिट।
NAV क्यों है इतना जरूरी?
NAV यह दर्शाती है कि किसी म्यूचुअल फंड स्कीम की वर्तमान बाजार में क्या कीमत है। जब भी आप निवेश करते हैं, तो उसी दिन की NAV के आधार पर यूनिट्स मिलती हैं।
अगर आप SIP (Systematic Investment Plan) कर रहे हैं, तो हर महीने आपको उस दिन की NAV पर यूनिट्स दी जाती हैं। यानी, NAV जितनी कम होगी, उतनी ज्यादा यूनिट्स मिलेंगी और NAV ज्यादा होगी तो कम यूनिट्स मिलेंगी।
NAV बढ़ना या घटना क्या दर्शाता है?
अगर किसी म्यूचुअल फंड की NAV समय के साथ बढ़ती है, तो इसका मतलब है कि उस फंड का प्रदर्शन अच्छा रहा है और उसने अच्छा रिटर्न दिया है।
उदाहरण: अगर आपने ₹10 की NAV पर निवेश किया था और अब वही NAV ₹15 हो गई है, तो इसका मतलब है कि आपके पैसे की वैल्यू 50% बढ़ गई है।
लेकिन केवल NAV को देखकर निवेश का निर्णय लेना सही नहीं होता। जरूरी है कि आप फंड के पिछले प्रदर्शन, फंड मैनेजर, रिस्क प्रोफाइल, और अन्य पहलुओं को भी देखें।
क्या NAV से निवेश की रणनीति बनती है?
बहुत से नए निवेशक सोचते हैं कि कम NAV वाले फंड सस्ते होते हैं और उन्हें खरीदना फायदेमंद होता है। लेकिन यह सोच गलत है। NAV कम या ज्यादा होना इस बात का संकेत नहीं देता कि फंड अच्छा है या बुरा।
कम NAV सिर्फ यह दिखाता है कि फंड ने हाल में शुरुआत की है या उस फंड ने अभी तक बहुत ज्यादा ग्रोथ नहीं की है। वहीं, ज्यादा NAV यह बता सकता है कि वह फंड पहले से काफी समय से अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।
NAV कब और कैसे तय होती है?
म्यूचुअल फंड की नेट एसेट वैल्यू (NAV) को प्रतिदिन अपडेट किया जाता है, आमतौर पर प्रत्येक बिजनेस दिन के अंत में। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के नियमानुसार, सभी म्यूचुअल फंड कंपनियों को अपनी NAV को रोज़ाना रात 9 बजे तक अपडेट करना अनिवार्य होता है। यह प्रक्रिया फंड की कुल परिसंपत्तियों और देनदारियों के आधार पर की जाती है। हालांकि म्यूचुअल फंड की NAV के लाइव अपडेट संभव नहीं होते, क्योंकि फंड को अपनी होल्डिंग्स में शामिल विभिन्न परिसंपत्तियों के मूल्य को हर समय ट्रैक करना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। इसी वजह से NAV की गणना दिन में एक बार ही की जाती है और उसे सार्वजनिक रूप से साझा किया जाता है।
SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) के नियमों के अनुसार NAV की गणना बहुत ही पारदर्शिता और नियमों के तहत होती है।
निवेशक के लिए जरूरी बातें
- NAV को सिर्फ एक संकेतक के रूप में देखें।
- फंड के पिछले 1 साल, 3 साल या 5 साल के प्रदर्शन को जरूर देखें।
- फंड हाउस की साख और फंड मैनेजर के अनुभव पर ध्यान दें।
- SIP में निवेश करने से NAV का असर औसतन कम हो जाता है।
NAV (नेट एसेट वैल्यू) म्यूचुअल फंड निवेश की नींव है। लेकिन केवल NAV के आधार पर निवेश करना एक अधूरी रणनीति होगी। आपको फंड की पूरी प्रोफाइल, जोखिम स्तर, प्रबंधन रणनीति और लक्ष्य को भी समझना चाहिए। निवेश से पहले थोड़ी सी रिसर्च, भविष्य में बड़ा रिटर्न देने का आधार बन सकती है।
NAV क्या है और क्यों है म्यूचुअल फंड में यह सबसे जरूरी
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