Vodafone Idea के बाद अब Airtel ने भी मांगी AGR बकाया में राहत, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
नई दिल्ली: टेलीकॉम सेक्टर के संकट गहराते जा रहे हैं। Vodafone Idea के बाद अब भारती एयरटेल (Bharti Airtel) और उसकी सहयोगी कंपनी भारती हेक्साकॉम (Bharti Hexacom) ने भी AGR (Adjusted Gross Revenue) बकाया में राहत की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कंपनियों ने याचिका में दलील दी है कि बिना राहत के उनकी वित्तीय स्थिरता और नेटवर्क विस्तार की योजनाएं खतरे में हैं।
AGR बकाया पर एयरटेल की सुप्रीम कोर्ट से गुहार
एयरटेल ने कोर्ट में कहा कि AGR विवाद में मूल राशि 9,235 करोड़ रुपये थी, लेकिन ब्याज और जुर्माने के कारण यह बढ़कर 43,980 करोड़ रुपये हो चुकी है। दूरसंचार विभाग (DoT) के अनुसार, 31 मार्च 2025 तक एयरटेल पर अभी भी 38,397 करोड़ रुपये का बकाया है। भारती कंपनियों ने इसे टेलीकॉम सेक्टर के लिए गंभीर खतरा बताया है।
याचिका में कहा गया है,
“AGR बकाया ने हमारी नेटवर्क विस्तार की क्षमता को बुरी तरह प्रभावित किया है। अगर राहत नहीं मिली, तो भारती कंपनियों और पूरे टेलीकॉम सेक्टर का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा।”
10 साल में 75,000 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस जमा
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारती एयरटेल ने पिछले एक दशक में सरकार को लाइसेंस फीस के रूप में 75,000 करोड़ रुपये और GST के रूप में 22,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। कंपनी का कहना है कि सभी टेलीकॉम कंपनियों को बिना भेदभाव के समान राहत मिलनी चाहिए, जिससे फाइनेन्शियल स्ट्रेस से बाहर निकला जा सके।
Vodafone Idea को चाहिए 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की छूट
इससे पहले Vodafone Idea (VIL) भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुकी है, जिसमें उसने AGR बकाया में 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की छूट की मांग की है। कंपनी ने अपने तर्क में कहा कि उसे सरकार की ओर से किसी तरह की राहत नहीं मिलती है, तो वित्तीय वर्ष 2025-26 के बाद संचालन संभव नहीं होगा और उसे दिवालियापन (Insolvency) की प्रक्रिया शुरू करनी पड़ेगी।
AGR विवाद बना टेलीकॉम सेक्टर की सबसे बड़ी चुनौती
AGR विवाद भारतीय टेलीकॉम सेक्टर के लिए सबसे बड़ी वित्तीय चुनौती बन चुका है। कंपनियों का कहना है कि अगर जुर्माना और ब्याज को माफ नहीं किया गया तो इससे प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा और इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और निवेश प्रभावित होंगे।
मुख्य बिंदु (Key Highlights):
- एयरटेल और हेक्साकॉम ने AGR बकाया में राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की
- मूल AGR देनदारी 9,235 करोड़ रुपये से बढ़कर 43,980 करोड़ रुपये हुई
- 10 वर्षों में Airtel ने भरा 75,000 करोड़ रुपये का लाइसेंस शुल्क
- Vodafone Idea भी मांग चुकी है 30,000 करोड़ रुपये की छूट
- टेलीकॉम कंपनियों ने सरकार से निष्पक्ष राहत देने की मांग की
AGR विवाद के चलते भारतीय टेलीकॉम सेक्टर की बड़ी कंपनियों को भारी वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ रहा है। अगर सरकार और सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर संतुलित और दीर्घकालिक समाधान नहीं निकालते हैं, तो इससे पूरे इंडस्ट्री पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
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