सैलरी अकाउंट में कितना पैसा रख सकते हैं? जानिए बैंकिंग नियम और इनकम टैक्स
हर महीने की पहली तारीख आते ही वेतनभोगी कर्मचारियों के बैंक खाते में सैलरी क्रेडिट हो जाती है। ज्यादातर लोग इसे सैलरी अकाउंट कहते हैं और सोचते हैं कि इसमें जितना चाहें उतना पैसा रखा जा सकता है। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा संभव है? क्या सैलरी अकाउंट में बड़ी रकम जमा रखना या ट्रांसफर करना किसी प्रकार की टैक्स जांच को बुलावा दे सकता है? आइए जानते हैं विस्तार से।
क्या है सैलरी अकाउंट?
सैलरी अकाउंट एक प्रकार का सेविंग अकाउंट होता है जिसे कंपनियां अपने कर्मचारियों की सुविधा के लिए बैंक में खुलवाती हैं। इसमें महीने की तय तारीख पर सैलरी ट्रांसफर की जाती है। अधिकांश बैंकों में सैलरी अकाउंट पर मिनिमम बैलेंस की अनिवार्यता नहीं होती, साथ ही कई तरह के फ्री बेनिफिट्स भी दिए जाते हैं जैसे कि फ्री ATM ट्रांजैक्शन, SMS अलर्ट, शून्य बैलेंस सुविधा आदि।
सैलरी अकाउंट में कितना पैसा रखा जा सकता है?
तकनीकी रूप से देखा जाए तो सैलरी अकाउंट में अधिकतम राशि रखने की कोई सीमा नहीं है। आप इसमें लाखों रुपये भी रख सकते हैं, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण नियम और इनकम टैक्स की गाइडलाइंस का पालन करना जरूरी है। अगर खाते में एक तय सीमा से अधिक कैश डिपॉजिट या लेनदेन होता है तो बैंक ऐसे ट्रांजैक्शन की जानकारी इनकम टैक्स विभाग को देता है।
इनकम टैक्स की नजर में कौनसे लेनदेन आते हैं?
CBDT (Central Board of Direct Taxes) द्वारा निर्धारित कुछ महत्वपूर्ण नियम:
- यदि किसी सेविंग अकाउंट में एक वित्तीय वर्ष में ₹10 लाख या उससे अधिक की नकद जमा की जाती है, तो बैंक इसकी सूचना IT विभाग को देता है।
- फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में ₹10 लाख या उससे अधिक की रकम जमा होने पर भी रिपोर्टिंग जरूरी होती है।
- एक वित्तीय वर्ष में क्रेडिट कार्ड बिल का ₹1 लाख से ज्यादा कैश में भुगतान किया गया तो भी रिपोर्ट भेजी जाती है।
- यदि एक व्यक्ति के सभी बैंक अकाउंट्स में कुल ₹50 लाख से अधिक की ट्रांजैक्शन होती है, तो जांच की जा सकती है।
इसलिए अगर आप अपने सैलरी अकाउंट में बड़ी रकम जमा कर रहे हैं, तो उसका सोर्स क्लियर होना चाहिए।
बैंक क्या करता है?
बैंक सभी हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शनों पर नजर रखता है। यह प्रक्रिया SFT (Statement of Financial Transactions) के अंतर्गत होती है। यदि खाते में बार-बार बहुत अधिक राशि जमा हो रही है, या सैलरी के अलावा अन्य अनएक्सप्लेंड इनकम आ रही है, तो बैंक इस पर नजर रख सकता है और संबंधित जानकारी टैक्स विभाग को भेज सकता है।
क्या अधिक पैसा रखने से कोई नुकसान है?
नहीं, लेकिन आपको अपनी इनकम और ट्रांजैक्शन का विवरण साफ रखना चाहिए। यदि आपका वेतन ₹50,000 प्रति माह है और खाते में कुछ महीनों में ₹10 लाख जमा हो जाएं, तो आपको इसका वैध स्पष्टीकरण देना पड़ सकता है। अगर रकम लीगल है—जैसे बोनस, फ्रीलांस इनकम, निवेश से लाभ—तो घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन उसका प्रमाण जरूरी है।
सैलरी अकाउंट में टैक्स छूट मिलती है?
सैलरी अकाउंट में जमा रकम पर कोई अलग टैक्स छूट नहीं होती। लेकिन यदि इसमें ब्याज मिलता है, तो वह इनकम टैक्स के तहत आता है। सेविंग अकाउंट पर ₹10,000 तक का ब्याज टैक्स-फ्री होता है (धारा 80TTA के अंतर्गत)। इससे ऊपर की राशि पर टैक्स देना पड़ता है।
सुझाव
- रेगुलर ट्रैकिंग करें: अपने सैलरी अकाउंट के ट्रांजैक्शन को रेगुलर बेसिस पर चेक करें।
- ITR में सही जानकारी दें: सैलरी और अन्य आय स्रोतों की जानकारी सही-सही ITR में भरें।
- फर्जी ट्रांजैक्शन से बचें: किसी और का पैसा अपने अकाउंट में न लें, खासकर बिना कागज के।
- एक से अधिक अकाउंट की योजना बनाएं: यदि आप निवेश, व्यापार या फ्रीलांसिंग से अलग इनकम पा रहे हैं, तो उसका अलग खाता रखें।
सैलरी अकाउंट में पैसा रखने की कोई लिमिट नहीं है, लेकिन बैंकिंग और इनकम टैक्स नियमों की सही जानकारी रखना बेहद जरूरी है। ट्रांसपेरेंसी, ईमानदारी और सही डॉक्युमेंटेशन ही आपको किसी भी तरह की टैक्स जांच से बचा सकता है। यदि आपकी आय वैध है, तो किसी भी बड़ी रकम को सैलरी अकाउंट में रखने से डरने की जरूरत नहीं।
आपके सवाल क्या हैं? नीचे कमेंट करें और शेयर करें यह जानकारी उन दोस्तों के साथ जो सैलरी अकाउंट का स्मार्ट इस्तेमाल करना चाहते हैं।
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